वो बचपन की बारिश , खूबसूरत बरसात की

वो बचपन की बारिश, खूबसूरत बरसात की
भीगते भिगाते बूंदों के फुहार की
कभी चमकती ,कभी अठखेलती,
तड़ग बिजली बरसात की ।
कभी बरसते कभी डराते सावन के बाहर की ।
वो बचपन की बारिश, खूबसूरत बरसात की ।

जब प्राकृतिक ने हरा श्रृंगार रचाया
सारी दुनिया मन ही मन हर्साया
बूंदों से ख़ामोशी टूटी पेड़ो की मुस्कान से
ठंडा ठंडा मौसम लायी सावन के दीदार से
सोंधी सोंधी मिट्टी भी महकी
मौसम की फुहार से ।

 

खिल उठी कालिया सारी
भंवरे की गुंजार से
महक उठी गलिया सारी
फूलों की मुस्कान से

 

छम छम करती बारिश की बूंदे
भीग उठी दुनिया सारी
मन में उमंग मस्ती सी छाई
बच्चों को भी खूब हरषाई

भीगते भीगाते बारिश की बूंदे
बचपन की याद दिलाती बूंदे
कागज की नाव तैराकर
बच्चों को भी खूब  नचाती बूंदे

जब रात घिर आई , काली घटा सी छाई
जब काले काले बादल ने
अपनी घूंघट जरा सी सरकायी
गोरी दुल्हन चांद मंद मंद सी मुस्कायी।

 

फिर बारिश में अपनों की और
बचपन की याद दिलाती बूंदे

भीगते भिगाते बूंदों के बहार की
वो बचपन की बारिश, खूबसूरत बरसात की

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